ईश्वर ने यह सृष्टि बनाई
तेरा यहाँ न निज कुछ अपना,
ऐ ! मानवता के छुपे शिकारी
यह याद सदा तुम रखना |
कर्मों का बड़ा गणित है पक्का
जो जस करे सो पाए,
बोये पेड़ बबूल जो जिसने
आम कहाँ से खाए |
कर नैतिक जीवन का मूल्यांकन
जोड़ घटा जो आए,
गिन धर पग तब जीवन पथ पर
अमी हर्ष निधि तुम पाए |
पोत ना कालिख स्वयं के मुख पर
मन दर्पण उज्जवल रखना ,
ईश्वर ने यह सृष्टि बनाई
तेरा यहाँ न निज कुछ अपना ||
जो जस करे सो पाए,
बोये पेड़ बबूल जो जिसने
आम कहाँ से खाए |
कर नैतिक जीवन का मूल्यांकन
जोड़ घटा जो आए,
गिन धर पग तब जीवन पथ पर
अमी हर्ष निधि तुम पाए |
पोत ना कालिख स्वयं के मुख पर
मन दर्पण उज्जवल रखना ,
ईश्वर ने यह सृष्टि बनाई
तेरा यहाँ न निज कुछ अपना ||
क्यूँ कार्य - कलापों से अपने
मानवता को लज्जित करते,
पल-पल बढ़ती सुरसा मुख-सी
धिक् अघ की न वदन पकड़ते |
क्यूँ निज समाज और देश के
आँचल पर हो दाग लगाते,
अरे क्या ले जाओगे अपने संग
जग से जाते - जाते |
बैठ कभी चित्त शांत बना
मन शीशे में मुख तकना ,
ईश्वर ने यह सृष्टि बनाई
तेरा यहाँ न निज कुछ अपना ||
© कंचन पाठक.
All rights reserved.
Published in Sanmarg Jharkhand (11 May 2014)
मानवता को लज्जित करते,
पल-पल बढ़ती सुरसा मुख-सी
धिक् अघ की न वदन पकड़ते |
क्यूँ निज समाज और देश के
आँचल पर हो दाग लगाते,
अरे क्या ले जाओगे अपने संग
जग से जाते - जाते |
बैठ कभी चित्त शांत बना
मन शीशे में मुख तकना ,
ईश्वर ने यह सृष्टि बनाई
तेरा यहाँ न निज कुछ अपना ||
© कंचन पाठक.
All rights reserved.
Published in Sanmarg Jharkhand (11 May 2014)
sunfar
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